राजनांदगांव- यह बात आज की नहीं है राजनांदगांव जिला पिछले 15 सालों से ऐसा ही दंश झेल रहा है. राजनांदगांव जिले के ऊपर वीआईपी होने का टैग तो लगा हुआ है, लेकिन इस जिले पर राज केवल अधिकारी और कर्मचारी कर रहे हैं स्थिति तो यहां तक है कि किसी काम के लिए विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह के पास जाएं तो वह काम उनके बोलने के बाद भी ना हो पाए बावजूद इसके की वही काम किसी विभाग के चपरासी को सौंप दे और बदले में उसे उसकी मुंह मांगी रकम दे दे तो वह आसानी से हो जाए बस यही कहानी है इस जिले की. हाल के ही एक मामले में नजर डालें जो पत्रकारों की जमीन से जुड़ा हुआ है कुछ ऐसा ही नजर आता है जहां तमाम पत्रकारों के विरोध के बाद भी कलेक्टर अपनी ही मनमानी कर रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह कि जिले में प्रशासनिक क्षमता को लेकर नजर डालें तो यह बात बिल्कुल सौ प्रतिशत सही है. राजनांदगांव विधानसभा के विधायक छत्तीसगढ़ प्रदेश की 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री के पद पर काबिज रहे और वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष बनकर विधायकों की समस्या को दूर करें मगर राजनांदगांव में आम जनता और पत्रकारों के लिए कोई ऐसा कार्य डॉक्टर रमन ने नहीं किया जिसे आम जनता गिना सके , राजनांदगांव में रोजगार के लिए नहीं कोई उद्योग है और ना ही कोई ऐसा कदम है जिसे आम जनता बता सके यह डॉक्टर रमन सिंह ने किया है पत्रकार भी इस बात से भली भाती है उन्हें जो आशियाना मिला है वह नवाज खान की बदौलत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की देन है जो की राजनांदगांव विधानसभा के अंतर्गत आता है भूपेश बघेल ने बचे हुए पत्रकारों को भी जमीन देने की शुरुआत तो कर दी थी किंतु सत्ता परिवर्तन के कारण पत्रकारों का सपना चकनाचूर हो गया इस अधूरे सपने को लेकर पत्रकार विधायक विधानसभा अध्यक्ष के पास गुहार लगा लगाकर थक गए और जिस जमीन पर नवाज खान की बदौलत भूपेश बघेल ने 10 एकड़ की सौगात दी थी इस जमीन पर बचे हुए 5.8 एकड़ की भूमि को शेष बचे हुए पत्रकारों ने विधायक विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह से दुहाई देते हुए मांग की किंतु उनके आदेश का पालन राजगामी का अधिकारी मानने को तैयार नहीं ।
राजनांदगांव का तहसीलदार के आदेश पर क्रिकेट एसोसिएशन के आवेदन पर समाचार पत्र में भूमि अभी आवंटन के लिए इस्तिहार जारी किया जिसमें साफ शब्दों में लिखा गया था 15 दिनों के अंदर अगर किसी प्रकार की किसी को आपत्ति हो तो कार्यालय में आकर आवेदन दे सकते हैं पूर्व में दो पत्रकार संगठन जमीन की मांग की थी उन्होंने इस इस्तिहार पर आपत्ति जाहिर करते हुए शेष स्थान पर पत्रकारों के लिए आवास की भूमि के लिए सुरक्षित स्थान बताते हुए आपत्ति लगाई थी मगर यह तो डॉक्टर रमन सिंह के विधानसभा के तहसीलदार थे जिन्होंने आपत्ति पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही ना करते हुए सीधे शासन को भेजना मुनासिब समझा, ऐसा नहीं है की आपत्ति लगने से पहले पत्रकारों ने विधायक डॉक्टर रमन सिंह से भी मुलाकात की थी और उन्होंने राजनांदगांव राजगामी संपदा एसडीएम और तहसीलदार को पत्र पर साफ लिखा था की संपूर्ण कागजात तैयार करके तत्काल इसका जवाब दिया जाए जवाब तलब में हमें सिर्फ इतना ही इशारा मिलने गया कि अभी राजधानी संपदा में कोई पदेन अध्यक्ष उपस्थित नहीं है सो पत्रकार गण अध्यक्ष की राह में अपनी राह खो बैठे और तहसीलदार एसडीएम ने अपने लाभ की खातिर पीछे के रास्ते से विधायक और विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह को पत्रकारों के समक्ष बदनाम करते हुए क्रिकेट एसोसिएशन के संपूर्ण कागजात को आगे बढ़कर शासन प्रशासन को प्रेषित करने की पूरी मानसा बना ली है, फिर एक बार अधिकारी से मुलाकात करने के बाद या पता चला अगर उनका यह भेजा हुआ पत्र खारिज होता है या फिर उनके द्वारा मांग की गई जमीन पर कोई अतिरिक्त जमीन बचता है तो आपको अवसर दिया जाएगा या विडंबना ही कहा जाए तो सच होगा की विधानसभा के विधायक विधानसभा अध्यक्ष की बात इस राजनांदगांव में नहीं चलती और राजगामी संपदा में किस तरह से बंदरबांट कर फिर एक बार उन्हें लाभान्वित करने का अवसर दिया जा रहा है जहां पर क्रिकेट अकादमी के लिए जमीन दी जाएगी जहां पर खिलाड़ियों के लिए रुकने की व्यवस्था और स्विमिंग पूल गार्डन बनाई जाएगा ताकि भविष्य में केंद्र सरकार और राज्य सरकार से लाखों करोड़ों की राशि लेकर इस पर बंदरबांट करने की तैयारी चल रही है और इस बंदरबांट में पहले से ही राजगानी संपदा की भूमि पर करोड़ों की भूमिहत्थाकर कर बैठे हुए उन्हें विधानसभा अध्यक्ष विधायक 15 साल के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह फिर लाभान्वित करेंगे हम जनता और घसीटते पीटते हुए संपादक पत्रकार उनके ही सफल कार्य पर तालिया की और पीठ थपथपाते हुए उन्हें शाबाशी भी प्रदान करेंगे मगर हम सभी साप्ताहिक मासिक पाक्षिक के संपादक गण सिर्फ इतना ही कह सकते हैं की राजनांदगांव जिले में नवाज जैसा जिला अध्यक्ष और भूपेश बघेल जैसा मुख्यमंत्री राजनांदगांव के लिए पत्रकारों के लिए मसीहा बनकर आया था और पत्रकारों को लाभ दिलाकर चला गया कुछ पत्रकार उनके प्रयास से वंचित रह गए सरकार रहती तो उनका भी सपना साकार होता.
*लाल टोपी राजू सोनी राजनंदगांव*
